Not known Details About Shiv chaisa

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

सर्व कला, संम्पन तुम्ही हो, हे मेरे परमेश्वर,

अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥

काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।

अर्थ- हे गिरिजा पति हे, दीन हीन पर दया बरसाने वाले भगवान शिव आपकी जय हो, आप सदा संतो के प्रतिपालक रहे हैं। आपके मस्तक पर छोटा सा चंद्रमा शोभायमान है, आपने कानों में नागफनी के कुंडल डाल रखें हैं।

मन मंदिर में, वास है तेरा, तेरी छवि बसाई,

इच्छा तुम्हारी बिना कुछ भी नहीं होता ॥

वेद माहि महिमा तुम गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥

श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

धूप दीप नैवेद्य Shiv chaisa चढ़ावे। शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥

पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

सोमवार को शिव चालीसा पढ़ने का अलग ही महत्व है। शिव चालीसा के माध्यम से आप अपने सारे दु:खों को भुलाकर भगवान शिव की अपार कृपा प्राप्त कर सकते हैं। भगवान शिव की सभी स्तुतियों shiv chalisa in hindi में शिव चालीसा को श्रेष्ठ और कल्याणकारी माना गया है। खासतौर पर महाशिवरात्रि पर या श्रावण मास में श्री शिव चालीसा का पाठ करने व सुनने से घर में सुख-शांति, धन-वैभव और प्रेम की वृद्धि होती है और शिव समस्त कामना पूर्ति का वरदान देते हैं।

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